
Kantola Ki Kheti : कम लागत के साथ आज ही शुरू करे कंटोला की खेती, लखपति बना देंगी इसकी खेती, देखिए कैसे होती है इसकी खेती
Kantola Ki Kheti : कम लागत के साथ आज ही शुरू करे कंटोला की खेती, लखपति बना देंगी इसकी खेती, देखिए कैसे होती है इसकी खेती कंटोला, जिसे ककोड़ा या स्पाइनी गौर्ड के नाम से भी जाना जाता है, एक अनमोल सब्जी है जो न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसकी खेती किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी लाभदायक साबित हो सकती है। यह सब्जी अपने औषधीय गुणों और पोषक तत्वों के कारण धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है। आइए जानते हैं कि कंटोला की खेती कैसे आपके स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकती है।
कहा कहा होती है कंटोला की खेती
कंटोला की खेती भारत के कई राज्यों में होती है, जैसे कि कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, और झारखंड में मुख्य रूप से की जाती है।
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कंटोला के फायदे
कंटोला में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे को नियंत्रित करने में मददगार है। इसके अलावा, यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने और इम्यूनिटी बढ़ाने में भी सहायक है।
कैसे की जाती है कंटोला की खेती
कंटोला की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। यह पौधा कम पानी और कम उर्वरक वाली भूमि में भी आसानी से उग सकता है। हालांकि, अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। कंटोला की बुवाई का सबसे अच्छा समय मार्च से मई तक होता है। इसे बीज के माध्यम से उगाया जाता है। बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। गर्मी के मौसम में सप्ताह में एक बार सिंचाई करना पर्याप्त होता है। वहीं, बारिश के मौसम में अतिरिक्त सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती। खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन के लिए समय-समय पर खेत की देखभाल करनी चाहिए।
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कंटोला की खेती से उपज
कंटोला की फसल बुवाई के लगभग 60-70 दिनों के बाद तैयार हो जाती है। फलों को छोटा और कोमल होने पर ही तोड़ना चाहिए, क्योंकि बड़े और पके फलों का स्वाद कड़वा हो सकता है। एक हेक्टेयर भूमि से लगभग 100-150 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है।
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